कला के उन्मेध के मध्य होना, एक अलौकिक अनुभव !
नयी पीढ़ी एम.एम.एच.महाविद्यालय में जिस तरह से और जिन गुरू हाथों अपने अर्न्तमन की और सोच को अभिव्यक्ति दे रही है रंगो के रसायन में डूब कर अद्भुत है । कल यह पीढ़ी याद करेगीः उनके भीतर की कला किसके सानिध्य में पुष्पित हुई। श्री लाल रत्नाकर जैसे देश के अद्भुत कला चितेरे के मार्ग दर्शन में तो वे गर्व से भर जायेंगे। बताएंगे सभी को कि हमारे गुरू रत्नाकर जी थे। जिनका चित्रकला में स्वयं का नितांत अपना मुहावरा है श्रेष्ठ वही है, अलग वही है जो रंगो और भावों को अलग आस्वाद से पूरता है।
- चित्रा मुद्गल
19.12.2016
विभिन्न अवसरों पर कला शुभेक्षुओं की सम्मतियाँ आती रहती हैं जिन्हें हमने तय किया है की इस ब्लॉग पर उन्हें दर्शाया जाएगा ;
बहुत बधाई रत्नाकर जी. यह आपकी मेहनत और लगन का प्रतिफल है कि आपके विद्यार्थी अच्छा काम कर पा रहे हैं. वरना तो अब ज़्यादातर जगह पढ़ाई लिखाई खाना पूर्ति हो गई है.
-विनोद वर्मा
(वरिष्ठ पत्रकार)
चित्रकला विभाग
के लिए देश के बुद्धिजीवियों में कितना लगाव है जिसके आकर्षण से वे इधर खींचे आते हैं जो हम अपना और अपने विद्यार्थियों का सौभाग्य ही समझते हैं। इसका उदहारण के यहाँ कुछ चित्र लगा रहा हूँ, देश के जाने माने कथाकार श्री शिवमूर्ति जी जब गाज़ियाबाद आये तो उन्होंने कुछ सरकारी कामों के बाद का समय मेरे विद्यार्थियों के मध्य दिया है जिसका लाभ विद्यार्थियों को जीवन के हर मोड़ पर अवश्य मिलेगा !
डॉ लाल रत्नाकर
अध्यक्ष
9 अगस्त 2016
"गाजियाबाद के एमएमएच कॉलेज का कला विभाग किसी आर्ट गैलरी में होने सा एहसास करा गया. विद्यार्थियों की कला में प्रतिभा का जो विस्फोट नजर आया, वह अद्भुत है. मैं अंदाजा लगा सकता हूं कि इसके पीछे विभागाध्यक्ष डॉ. लाल रत्नाकर समेत संकाय के सदस्यों की कितनी मेहनत लगी होगी. आप सभी को बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं. "
दिलीप मंडल
पूर्व मैनेजिंग एडिटर, इंडिया टुडे
28 जुलाई 2016
(Sobha Pal old student of MA Drg.&Ptg.)
श्री जीतेन हज़ारिका (प्रख्यात चित्रकार)
नोएडा
प्रो०सुन्दर लाल कुलपति
पूर्वांचल विष्वविद्यालय जौनपुर
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एम एम एच कालेज गाजियाबाद के सभी युवा चित्रकारों को बहुत -बहुत बधाई विद्यार्थी जीवन में कल प्रदर्शन करना आपकी विशेष उपलब्द्धि है और भविष्य में कला गुरु के मार्ग दर्शन में इसी तरह सतत कार्य करते रहना, आपके कला गुरु डॉ.लाल रत्नाकर जी को सादर नमन !
-विजय ढोरे चित्रकार
भोपाल से अध्ययन / हैदराबाद (आंध्र प्रदेश )
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